भिण्ड मध्यप्रदेश-: साहित्य से ही समाज में परिवर्तन हो सकता है, साहित्यकारों ने अपनी-अपनी लेखनी के माध्यम से समाज के अभूतपूर्व परिवर्तन किया है। अब देखना यह है कि समाज में साहित्य का महत्व कम ना हो, आज वर्तमान में लोग अपनी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं, प्रत्येक साहित्यकार का धर्म है कि वह अपनी परंपराओं को संजो कर रखें। यह विचार कस्बा लहार में पौरूष स्मृति अलंकरण समारोह के दौरान अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्रीधर पराड़कर ने व्यक्त किए।
श्री पराड़कर ने कहा कि भिझड जिले का पौरूष किसी से छिपा नहीं है, भारतीय सेना में सबसे अधिक सैनिक वीरभूमि मिलते हैं, एग्रीकल्चर से एमएससी करने वाले सबसे ज्यादा भिण्ड के लिए यह गौरव की बात है। राष्ट्रीय महामंत्री कृष्ण कुमार ने कहा कि भारत का स्थाई भाव पौरुष है और साहित्य की भाषा विचार रचना कैसी होनी चाहिए, इसमें भी हमें पौरूष दिखाना चाहिए।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद का सम्मेलन तीन चरणों में संपन्न हुआ। सम्मेलन में जिन साहित्यकारों का मार्गदर्शन हमें प्राप्त हुआ, उनमें प्रमुख रूप से प्रदेश महामंत्री प्रवीण गुनगानी, डॉ. नीलम राठी दिल्ली, डॉ. कुमार संजीव, बसंत पुरोहित ग्वालियर, डॉ. कामिनी सेवड़ा, रामचरण चिनार, सुषमा मधुबंसी बालाघाट, धीरज शर्मा ग्वालियर, उपेन्द्र कस्तूरे आदि प्रमुख हैं।
कार्यक्रम के तृतिय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता डॉ. सुखदेव सिंह सेंगर भिण्ड ने की। मुख्य अतिथि के रूप में एसडीएम लहार आरके प्रजापति एवं हरीबाबू निराला मिहोना, विशिष्ट अतिथि मनोज स्वर्ण भिण्ड, अरविंद बरुआ मंचासीन रहे। संचालन सुनील श्रीवास्तव ललित ने किया। कवि सम्मेलन में कवि धर्मेन्द्र त्रिपाठी, सत्येन्द्र चौहान, जयप्रकाश पांडे, डॉ. शशिवाला, सुषमारानी, मुन्नालाल गुप्ता, हरबिलास प्रजापति, शैलेन्द्र श्रीवास्तव, हरनारायण हिण्डोलिया, रामअवतार शास्त्री, हरिहर सिंह, कीरत सिंह, श्यामसुंदर श्रीवास्तव, चंद्रप्रकाश तिवारी कक्का, संजय श्रीवास्तव, आकाश आदि ने काव्य पाठ किया। अंत में कार्यक्रम संयोजक डॉ. कैलाश प्रजापति लाल द्वारा सभी साहित्यकारों को शॉल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह एवं राशि भेंट कर सम्मानित किया गया। आभार प्रदर्शन तहसील संयोजक चंद्रप्रकाश तिवारी ने किया।
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